साल 2016 की बात है। बनारस के घाटों पर रहने वाली अवनि, एक साहसी और खुले विचारों वाली लड़की थी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने दिल्ली में एक प्रतिष्ठित विज्ञापन कंपनी में नौकरी पा ली। दूसरी तरफ, जय नाम का युवक कर्नाटक के एक छोटे से गांव में पला-बढ़ा था और बेंगलुरु में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम करता था। दोनों के जीवन की राहें इतनी अलग थीं कि उनका मिलना असंभव-सा लगता था।
लेकिन किस्मत ने उन्हें एक कॉन्फ्रेंस में मिलवाया। दिल्ली में आयोजित एक डिज़िटल मार्केटिंग सेमिनार के दौरान, जय और अवनि पहली बार आमने-सामने आए। अवनि ने अपने आत्मविश्वास भरे अंदाज में जय से बात शुरू की, “आपकी कंपनी के सॉफ़्टवेयर सॉल्यूशन्स बहुत शानदार हैं। क्या आप मुझे इनके बारे में और बता सकते हैं?”
जय ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “ज़रूर, लेकिन मुझे लगता है कि आपके विचारों के सामने हमारे सॉफ़्टवेयर फीके पड़ जाएंगे।”
इस हल्की-फुल्की शुरुआत के बाद, वे पूरे सेमिनार में एक-दूसरे के करीब आते गए। दोनों को यह महसूस हुआ कि उनके विचार, शौक और जीवन के प्रति नजरिया बहुत मिलता-जुलता है। सेमिनार खत्म होने के बाद दोनों ने अपने नंबर साझा किए और लगातार संपर्क में रहने लगे।
कुछ ही महीनों में उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई। अवनि और जय ने लंबी बातचीतों, वीडियो कॉल्स और एक-दूसरे के शहर में छोटी-छोटी मुलाकातों के जरिए अपने रिश्ते को गहराई दी। अवनि को जय की सादगी और उसके जीवन के प्रति गंभीरता पसंद आई, जबकि जय अवनि के आत्मविश्वास और जिंदादिली पर मोहित हो गया।
लेकिन लंबी दूरी का रिश्ता जितना रोमांचक होता है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी। अवनि की नौकरी उसे अक्सर दूसरे शहरों में काम के लिए बुलाती, जबकि जय का काम उसे ऑफिस में बांधकर रखता। दोनों अपनी-अपनी व्यस्तताओं में उलझने लगे, और कॉल्स धीरे-धीरे कम होती गईं।
एक दिन, अवनि ने जय से कहा, “मैं यह दूरी और सहन नहीं कर सकती। कभी-कभी लगता है कि हमारा रिश्ता बस कॉल्स और मैसेज तक सीमित हो गया है। क्या यह सही है?”
जय ने शांत स्वर में जवाब दिया, “मैं समझता हूं कि यह कठिन है। लेकिन मैं यह भी जानता हूं कि तुम मेरे जीवन का हिस्सा हो, और मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।”
हालांकि दोनों ने अपने रिश्ते को बचाने की कोशिश की, लेकिन अवनि के परिवार की उम्मीदें और दबाव बढ़ने लगे। उसके माता-पिता चाहते थे कि वह अपने समुदाय के किसी लड़के से शादी करे। अवनि ने जय से इस बारे में बात की, लेकिन जय के पास उस वक्त कोई ठोस समाधान नहीं था।
जय की जिंदगी में भी मुश्किलें बढ़ने लगीं। उसके माता-पिता ने उसकी शादी के लिए एक लड़की देखी थी, और उन्होंने उसे भावनात्मक दबाव में डाल दिया। जय और अवनि के रिश्ते में अनकही बातें और तनाव बढ़ने लगा।
एक दिन, जय ने हिम्मत जुटाकर अवनि से कहा, “शायद हमें अपने रास्ते अलग कर लेने चाहिए। मैं तुम्हें इस दर्द में और नहीं देख सकता।”
अवनि की आंखों में आंसू आ गए। उसने कहा, “अगर तुमने यह फैसला ले लिया है, तो मैं इसे चुनौती नहीं दूंगी। लेकिन इतना जान लो कि मैं तुमसे प्यार करती हूं और हमेशा करती रहूंगी।”
दोनों ने एक-दूसरे को अलविदा कह दिया। लेकिन प्यार इतना गहरा था कि वे एक-दूसरे को भुला नहीं सके।
छह महीने बाद, अवनि की जिंदगी में अचानक एक मोड़ आया। जय ने उसे कॉल किया और कहा, “मैंने सब कुछ छोड़ दिया है – परिवार का दबाव, समाज की बंदिशें। मैं जानता हूं कि मैंने तुम्हें बहुत दर्द दिया, लेकिन मैं अपने जीवन में तुम्हारे बिना नहीं रह सकता। क्या तुम मुझे एक और मौका दोगी?”
अवनि ने कुछ देर चुप्पी के बाद कहा, “मुझे लगा था कि तुम वापस नहीं आओगे। लेकिन अगर तुम्हें सच में हमारी कहानी पर विश्वास है, तो मैं तुम्हारा साथ देने को तैयार हूं।”
जय ने दिल्ली आकर अवनि के परिवार से मुलाकात की। उसने अपनी ईमानदारी और प्यार से उन्हें मना लिया। दोनों ने सबके आशीर्वाद के साथ शादी की और एक साथ नई जिंदगी की शुरुआत की।
दूरी ने उनके प्यार को परखा, लेकिन अंत में उनका विश्वास और लगाव जीत गया।